बेटी ब्वारी पहली जांदा छ धाणी
घास गडोली मुंड मा लेंदी
काम काज मा मस्त हुंया छन
पहली जमानू की छंवी क्या लगाणी
बैसाख महिना, थौल मा जाणी
चुडी कांडी और, फ़ून्दी लाणी
सौण क महिना, तड-तड पाणी
भादों कु घाम मा, मुन्गरी सूखाणी
कार्तिक महिना, आली दिवाली
स्वामी जी आला, खुद विसराली
चैत मा डडवार, मन्गला औजी
बेटी-ब्वारियों का, आला मैती
कन जमानू औयी, होलू कुजाणी
गौंव मा अब क्वी, नीछन राणी
डोला बटी छ, ब्वारी चिल्लाणी
मी भी दगडी, देश लिजाणी
तनखा पाणी, कुछ नी होन्दी
फिर भी ब्वारी, दगड मा रौन्दी
बूढ्या ब्वे-बाब छन, बूखी घर मा
और ब्वारी.....
हजार रुपया की साडी लगान्दी
"उन्दारी क बाठ, ना देख ठाठ
फट रौडली खुट !
उकाली कू बाठ मठू-मठू काट
सीधू पहुंचली टुख !!"
Copyright © 2010 Vinod Jethuri
बहुत सही वर्णनन च भुल्ला विनोद.. लगी रो लिखण मा शुभकामनाये
ReplyDeleteबहुत बहुत धन्यबाद भैजी बस आप कू उत्साहबर्धन और प्रोत्साहन ईनी मिलदू रालू ता अगने और अच्छू लिखणू कू कोशिश करला धन्यबाद एक बार और
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