Tuesday, 15 February 2011

रुम-झूम बरखा मा माया ऊलार

तडतडू घाम मा पसीना कु धार
सुरसुरया बथौं मा जड्डू न बुखार
रुम-झूम बरखा मा माया ऊलार
चल प्यारी जौला घुमणू बजार..

सर्वाधिकार सुरक्षित @ विनोद जेठुडी, 2010
14 फ़रवरी 2011 @ 07:07 AM

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