Sunday 17 October 2010

सेवा सौल्यी राजी खूशी

पहली-पहली मी सेवा लगान्दू,,,
दुजा मी खुशी मनान्दू,,
तीजा माया उलार...................
घरबटी तुम.. अंया बौजी, क्या लयु रैबार.. -२ (मेल)
पहली- पहली मी सेवा सलान्दू,,,
दुजा मी खुशी मनान्दू,,
तीजा माया उलार................
घर मा सभी..राजी-खुशी, डांडी-कांठियों मा बहार..- २ (फ़ेमेल)

खुद लगी छ मी भी जान्दू,,,
ना बौजी मी अब नी रौन्दू,,
मी भी जाणु घौर.................
सालो हवेगे खुद लगीं अब नी रौन्दू और... - २ (मेल)
ना दयोरा तू ईन ना बोदी,,,
घर जाण कि छ्वी ना लौदी,,
क्या करली घौर...................
नौकरी तै क्या मिलली, क्या होलु पगार..- २ (फ़ेमेल)

मांजी बाबा कि याद औन्दी,,,
डांडी-कान्ठियों की, खुद सतान्दी
करियाली मीन सौर.......................
देखा देखि पहुन्चीगे मी भी, सात समुद्र पोर..-२ (मेल)
हे दयोरा तु, खुब ही बोदी,,,
अपण देव,भुमी रौतेली,,
जौला बौडी घौर.........................
तुम ता बस्या दुर देश मा, बिराण पहुच्या धोर .. - २ (फ़ेमेल)

हे बौजी, भैजीकु खबर,,, ?
दीदी  भुलियों तै.. क्या रैबार,,
क्या होण छ घौर..........
गांव खोला और.. रिती-रिवाज, अपणो सी दुर.. -२ (मेल)
 हे भैजी तुम तै खबर,,,
दीदी भुलीयो तै यु रैबार,,
आवा बौडी घौर........................
अपणु मुलक.. अपणू देश, अपणो कु धोर.. - २ (फ़ेमेल)

एलबम - ललीता छो छम्म, स्वर - गीता चन्दोला एंव अर्जून रावत, गीत विनोद जेठुडी
Copyright © 2010 Vinod Jethuri

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