देवभूमी उत्तराखन्ड तै समर्पित मेरी या कविता...."जै देवभूमी उत्तराखन्ड" .....
मात्रभूमी पित्रभूमी, देवभूमी यथोयथा ! - २
पंच-बदरी पंच केदार, पंच प्रयाग छन जख !!
शिव जटा बटी आणी छ गंगा मां, गंगा मां की सूणो कथा ! - २
राजा भगीरथ न करी जब, १००० सालो की घोर तपस्या !!
१२०० साल बटी आणी, नन्दा मां तेरी जात्रा ! - २
हर १२ वर्षो मा मां, औन्दा तेरी मैती वाला !!
देवभूमी की कुलदेवी माता, तूमतै नमन करदू सदा ! - २
यी धरती पर क्रपा करी मां, जी पर तेरा भग्त रैदां !!
ऊंची-ऊंची डांडी-कांठी, ठन्डो-ठन्डो पाणी जख ! - २
हरी-भरी हरियाली और, भलू-मयाली, मनखी तख !!
जन्मभूमी, तपोभूमी, पित्रभूमी यथोयथा ! - २
पंच-बदरी पंच केदार, पंच प्रयाग छन जखा !!
Copyright © 2010 Vinod Jethuri
No comments:
Post a Comment