चैत की चैत्वाळ अर पुडीँ हो काम की चटकताळ
ता समझियाँ कि फिर बौडी कि येगे बग्वाळ
सौँण भादोँ मा जब, पाणी कु हो स्वीँस्याट
असुज अर कार्तिक की, वा जुन्याळी रात
लौवारु बौटाळु कु भी, पुडी गे होली चकडात
काम धाणी कु मचयुँ होलु सभियोँ पर रगरयाट
ता समझियाँ कि फिर बौडी कि येगे बग्वाळ
ढोल बजणो की अगर सुणेणी होली अवाज
ता दूर गौँव मा कखी, पटणी होली बरात
चुगलेरोँ की कछडी मा मच्यूँ होलु छकछयाट
अर छोरी-छोरोँ कु सरै घौर मा मचायुँ होलु धमध्याट
ता समझियाँ कि फिर बौडी कि येगे होली बग्वाळ
छ्वाया-छुलेरोँ कु भी कम ह्वेगे होलु स्वीँस्याट
लौवारु बौटाळु कु भी, पुडी गे होली चकडात
सौँजड्या भग्यानी करणी होली अपणु स्वामी की जग्वाळ
तेल की भदाळी मा बणणा होला, गौथौँ भुर्याँ स्वाळ
ता समझी लियान कि फिर बौडी येगे बग्वाळ
गौ माता की बाडी खिलै, होणी होली, पुजा अर सत्कार
सिगँ तेल अर पैर छ्वीँ तै, करण होला, सादर नमस्कार
धरती माता की पुजा होंदी चढै कि सतनाजु, रोट अर स्वाळ
ता समझियाँ कि फिर बौडी कि
येगे होली बग्वाळ
© Vinod Jethuri
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