Tuesday 11 July 2017

सरै गौंव सुनसान नजर औन्दु


यूं तिबारी - डिंडालियों मा 
अब क़िबलाट नी सुणेन्दु 
यूं चौक डिंडालियों मा 
भी क़्वी बैठण कु नी औन्दु 
छाजा - गुठ्यार मा 
क़्वी भैंसु नी रमंदु 
अर सरै गौंव खोळा मा 
क़्वी मनिख नी दिखेंदु 
कखी मेरी आँखि अर कन्दोड़ी 
फूटी ता नी गे होला 
किलै कि न कुछ दिखेंदु 
अर न कुछ सुणेन्दु 
सरै गौंव सुनसान नजर औन्दु 
सरै गौंव सुनसान नजर औन्दु 
© विनोद जेठुड़ी ११/०७/२०१७