Friday, 11 February 2011

सुवा बिचारी कन होली कुजाणी ?

सुर-सुर बथौ होलु डांडियो मा चलणी
बांज कि जडियो कु चचकार पाणी
दगडियो क गैल होली छवी बात लाणी
सुवा बिचारी होली घास कु जाणी..
घसेरी पाखों मा गीत होली गाणी
रुडी क दिनो मा बोण-बोण डबकणी
घास कु बान कन होली भटकणी ?
गीत ही गीत मा होली धै लगाणी..
चला दगडियो अब घौर नी जाणी ?
मैत की वीं तै खुद होली लगणी
स्वामी की खुद मा रामी बौराणी
क्वासु शरीर थक होली बिसाणी..
वीकी खुद आज मन तै सताणी
सुवा बिचारी कन होली कुजाणी ?

सर्वाधिकार सुरक्षित @ विनोद जेठुडी, 2010 
11 फ़रवरी 2011 @ 21:51

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