Monday, 31 December 2018
Monday, 4 June 2018
फौजी कु फर्ज अर परिवार
एक माँ कु फर्ज कु खातिर
हैकी माँ तै छोडीक चली ग्योँ मी
भारत माँ की रक्षा खातिर
आज शहिद हुवेग्योँ मी
माँ मै माफ करी
मै तेरु बुढेंदु कु सहारु नी बणी पायी
अपणु ख्याल रखी अर
औरोँ तै भी समझैयी
बाबा मेरु दुधी नौनियाल कु
खुब देखभाळ करी
अर वेतै भी बडु हुवेक
फौजी ही बणौयी
बीना... तू हिम्मत रखी अर
माँ बाबा की सेवा करी
मेरी खुद मा तू बीना
अकेला मा रोणी ना रैयी
हम फौजी छाँ
देश क खातिर मरी मिटी जौला
पर भारत माँ पर कभी भी
आँच नी औणी द्योला
पर भारत माँ पर कभी भी
आँच नी औणी द्योला
© Vinod Jethuri on 04/05/2018 @ Sharjah
मी प्रवासी पहाडी छौँ
हर साल की तरह ये साल भी दुबई मा आयोजित उत्तराखँडी काब्य एँव साँस्क्रतिक सम्मेलन KESS - 2018 क अवसर पर मीन अपणी या कविता "मी प्रवासी पहाडी छौँ" प्रस्तुत करी, आप सभियोँ कु दग़डी सम्लियात करणु छौँ शायद आपतै भी पसँद आली ।
मी पहाडी छौँ, गढवाळी छौँ
मी पहाडी छौँ, गढवाळी छौँ
देवभूमी उत्तराखँड कु रैबासी छौ
छोडी क ये ग्योँ वीँ धरती तै ।
आज बण्यु परवासी छौँ ।।
परवासी बण शौक नी छ मीतै
मजबूरी कु मारियुँ छौ
स्वास्थ्य, सडक अर शिक्षा जन
मूलभूत सुविधाओँ सी हारयुँ छ
विजळी न हो जख दिखणु कु अर
बाठु न हो हिटणु कु
स्कूल न हो जख पढणु कु अर
मास्टर न हो दिखणु कु
तूम ही बुला कन कै राँ वख ?
जख स्कूल जांद छोरा बस नचणु कु
मी पहाडी छौँ, गढवाळी छौँ
डाँडी – काँठियोँ कु रैबासी छौ
याकुँ छोडी मीन वीँ धरती तै
आज बण्यु परवासी छौ
जख अस्पताळ न हो ईलाज करणु कु
अर डाक्टर न हो जान बचाण कु
तूम ही बुला तब कन कै राँ वख ?
बिन मौती कु अध-बाटु मुन्नु कु
एम्बुलेँस की सुविधा नी जख
मरिजोँ तै अस्पताळ पहुँचाणु कु
वख दारु क वैन चना छन
घर – घर दारु पहुँचाणु कु
मी पहाडी छौँ, गढवाळी छौँ
रौतेळ मुलक कु वासी छौ
याकुँ छोडी मीन वा रौँतेली धरती
आज बण्यु परवासी छौ
राशन की दुकानियोँ मा जख
राशन नी छ खाणु कु (अरे मीन बोली)
ऊँ दुकानियोँ मा मीन सुणी अब
दारु मिलली प्याणु कु
रोजगार भले कुछ न हो वख
खाणु अर कमाणु कु
पर गौँ – खोळोँ का येथर पैथर
ठेका खुली गेन प्याणु कु
मी पहाडी छौँ, गढवाळी छौँ
घनघोर जँगळो कु रैबासी छौ
याकुँ छोडी मीन वीँ धरती तै
आज बण्यु परवासी छौ
खेती पाती कुछ कै नी सकदाँ
सुंगर अर बाँदर आणा छन खाणु कु
रात विरत कखी जै नी सकदाँ
मैसाग लग्युँ छ बोणो कु
धार सुखी गेन, गाड घटी गेन
पाणी नी मिलणु पेणू कु
तूम ही बुला कन कै राँ वख ?
जख मूलभूत सुविधायेँ न हो जीणु कु
मी पहाडी छौँ, गढवाळी छौँ
गाड गदनियोँ कु रैबासी छौँ
याकुँ छोडी मीन ऊँ गदनियोँ तै
आज बण्यु परवासी छौ
सुविधायेँ भले कम हो लेकिन
रौनक अलग ही छ पहाडोँ कु
मनिखी ता रै पर देवता भी जख
पसंद....., करदन बसणु कु
सडक, स्वास्थ्य अर शिक्षा दगडी
रोजगार हो गर वख जीणु कु
मनखियोँ तै स्वर्ग हुवे जालु
उत्तराखँड....., बसणु कु
मनखियोँ तै स्वर्ग हुवे जालु
उत्तराखँड....., बसणु कु - 2
© विनोद जेठुडी on 10/05/2018 @ KEES 2018
Labels:
गढवाली कवितायें
Delhi India
Uttarakhand, India
Tuesday, 11 July 2017
सरै गौंव सुनसान नजर औन्दु
यूं तिबारी - डिंडालियों मा
अब क़िबलाट नी सुणेन्दु
यूं चौक डिंडालियों मा
भी क़्वी बैठण कु नी औन्दु
छाजा - गुठ्यार मा
क़्वी भैंसु नी रमंदु
अर सरै गौंव खोळा मा
क़्वी मनिख नी दिखेंदु
कखी मेरी आँखि अर कन्दोड़ी
फूटी ता नी गे होला
किलै कि न कुछ दिखेंदु
अर न कुछ सुणेन्दु
सरै गौंव सुनसान नजर औन्दु
सरै गौंव सुनसान नजर औन्दु
© विनोद जेठुड़ी ११/०७/२०१७
Tuesday, 27 June 2017
दारु प्रेमी उत्तराखंड सरकार
धन्य हे उत्तराखंड सरकार
तेरी महिमा अपरम्पार
दारु प्रेमी दारु, बिना नी रैंदी
अर सुचदी कि .......
दारु सी ही होलू उद्धार
रास्ट्रीय सड़क छन जू हमारी
त्यों तै जिला सड़क बणियाली
अर त्यों सडकियों क ऐथर-पैथर
दारु का त्वेन ठीका खोलियाली
त्वेन बडू काम करियाली
पलायन तै रुकणु कु यू
बडू बेहतरीन तर्क खोजियाली
माँ बहिंणियों न विरोध करी जू
त्यों पर त्वेन लाठी चलैयाली
ईन क्या जूर्म करी जू
पूलिस की पुरी फ़ोर्स लगैयाली
धन्य हे त्रिवेन्द्र सरकार
दारु सी इन क्या मोह ह्वे ग्यायी ?
जरा भी त्वे दया नी आयी ?
यीं दारू न जाणी !
कत्यों की मवासी घाम लगाई
जूं चुलखेन्दो मा पकदी छी रुठ्ठी
त्यों चुल्लों की आग बुझाई
जूंक अपणा गैन दारू सी
त्युंकी त्वे पर लगली हाई
सुणी ले हे त्रिवेन्द्र सरकार
समळी जा अभी भी कुछ नी ह्वायी
बन्द करै दे त्यों ठिक्कों तै
जूं तै त्वेन जबरदस्ती.....
गौं सडकियों क धोर खुलाई
मीन सूणी त्वेन हाल ही मा
जू क्वी जै नी सकदू ठिक्को
त्योंतै त्वेन दारू की वैन चलाई
समली जा बगत छ अभी भी
निथर भरी देर हवे जाली
जवीं दारू मा सुख दिखणी छैं
त्या दारू ही त्वेतै डुबाली
समळी जा हे उत्तराखंड सरकार
निथर भरी देर ह्वे जाली
ईन क्या छ यीं दारू मा
जू दारू सी ईत्का लोभ ह्वे ग्यायी
कुबेर क भंडार दिख्यायी
देख धी ऊंची डांडी कांठी
ह्यों-हिंवाळियों मा जडी छ बूटी
पर्यटन का अपार सम्भावना छ्न
पर जरा सी वे पर काम करा धी
हौलीवुड बौलीवुड वाळों तै
फ़िल्म बणाण कु न्योतु दिवा धी
विदेशी पर्यटकों तै अपणी
स्वर्ग जन यीं धरती दिखा धी
वेदनी बुग्यालों मा कैम्प लगावा
ऋषिकेश तै योग सिटी बना धी
टिहरी क अनेरू पानी मा
नावों की रेस लगा धी
नैनीताल, देहरादून मसूरी
तै स्मार्ट सिटी बना धी
पलायन करी गें जू अपणा भै-बंद
ऊतै वापस घौर बुला धी
उत्तराखंड तै समर्ध बणाणु
कुछ ता जरा सी जातन करा धी
पर अफसोस कि
उत्तराखंड सरकार तै बस
दारु मा ही कुबेर का भण्डार दिखेंदू
दारू मा ही विकाश दिखेंदु छ
© विनोद जेठुड़ी
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