Friday, 22 November 2024

बग्वाळ

चैत की चैत्वाळ अर पुडीँ हो काम की चटकताळ
ता समझियाँ कि फिर बौडी कि येगे बग्वाळ

सौँण भादोँ मा जब, पाणी कु हो स्वीँस्याट
असुज अर कार्तिक की, वा जुन्याळी रात
लौवारु बौटाळु कु भी, पुडी गे होली चकडात
काम धाणी कु मचयुँ होलु सभियोँ पर रगरयाट
ता समझियाँ कि फिर बौडी कि येगे बग्वाळ

ढोल बजणो की अगर सुणेणी होली अवाज
ता दूर गौँव मा कखी, पटणी होली बरात
चुगलेरोँ की कछडी मा मच्यूँ होलु छकछयाट
अर छोरी-छोरोँ कु सरै घौर मा मचायुँ होलु धमध्याट
ता समझियाँ कि फिर बौडी कि येगे होली बग्वाळ

छ्वाया-छुलेरोँ कु भी कम ह्वेगे होलु स्वीँस्याट
लौवारु बौटाळु कु भी,  पुडी  गे होली चकडात
सौँजड्या भग्यानी करणी होली अपणु स्वामी की जग्वाळ
तेल की भदाळी मा बणणा होला, गौथौँ भुर्याँ स्वाळ
ता समझी लियान कि फिर बौडी येगे बग्वाळ

गौ माता की बाडी खिलै, होणी होली, पुजा अर सत्कार
सिगँ तेल अर पैर छ्वीँ तै, करण होला, सादर नमस्कार
धरती माता की पुजा होंदी चढै कि सतनाजु, रोट अर स्वाळ
ता समझियाँ कि फिर बौडी कि येगे होली बग्वाळ

© Vinod Jethuri 

Thursday, 13 July 2023

सुणी ले रे मनखी, मनख्यात न छोड़ी

आज तेरू बग्त होलु ता, मेरु भी बग्त आलु
बग्त, बग्त की बात छै बल, बग्त ही बतालु 
खयुँ कमायुँ जू भी छ सब, धरयुँ कु धरयुँ रै जालु 
जै तै तू आज अपन्याणी छै, ऊ भोळ कै औरों कु हुवे जालु

सुणी ले रे मनखी, मनख्यात न छोड़ी, सब कुछ देण पोडुलु 
चार दिन की चाँदना छ, खळबट निकळी जालु

मंख्यात मनखियों मा, मयाळुपन ऊ, अब पहली जन नी राई
अफखोर हुयां छान, फुट्याचंद बन्या छन, पुटुकु कभी नी भुरियायी 
मनखी जन्म त्वेन पाई री मनखी, वेकु उद्धार करि ले
जितना हो समेटी ले तू, पुण्य की भरी ले झोली 

सुणी ले रे मनखी, मनख्यात न छोड़ी, भोरी ले पुण्य की झोली 
खुशियों कु रंगन रंगै दे धरती, मिली-झूली खेला छरोळी  

अभी भी सुधरी समळी जा मनखी, न कौर चोरी-जारी 
मार पीट अर झूठ-पीठ की, बड़ी करियाली अत्याचारी 
सत्कर्मों सी अपणु मनखी, भोरी ले पुण्य की झोली ।
जतका खर्चीली, उत्का पैली, या झोली ता भुरदी जाली 

सुणी ले रे मनखी, मनख्यात न छोड़ी, भोरी ले पुण्य की झोली ।
खुशियों कु रंगन रंगै दे धरती, मिली-झूली खेला छरोळी  

मोह माया अर लोभ क्रोध यू, बाठू छन हड़चणकु 
पुण्य दया और दान धर्म कु बाठु छण सतकर्मो कु 
सुणी ले रे मनखी, मनख्यात न छोड़ी, सब कुछ देन पुड़ुलु 
चार दिन की चाँदना छ, खळबट निकळी जालु

© Vinod Jethuri 

Wednesday, 2 November 2022

अब पहली जन बग्वाळीयों की वा बात नी रै

अब पहली जन बग्वाळीयों की वा बात नी रै ।
अन्न-धन्ना क कुठठारों की पूजा होंदी छ, पूजा की वा थाळ नी रै ।।
कार्तिक महीना आली बग्वाळ, बग्वाळ की वा जग्वाळ नी रै । 
खाली गौंव अर रीता कुंडों की धुरपळी मा अब पठाळ नी रै ।।

14 साल बनवास काटी, राम जी ता घौर एगे ।
अपणु चली गेन जु छोड़ीक परदेश, सदानी कु परवासी ह्वेगे ।।
आणि-जाणी ता छोड़ी ही छ पर, बोली-भाषा भी बिसरी गे ।
अब पहली जन बग्वाळीयों की वा बात नी रै ।।

बीर भड माधो सिंह न लड़ै जीती ता हमन बग्वाळ मनै ।
उन्की सेना कु घौर पहुँचण पर, खुशी मा हमन फिर ईगास मनै ।।
हमारी ईगास अलग ही होंदी छ, अलग ह्वेकी भी अब खास नी रै ।
अब पहली जन बग्वाळीयों की वा बात नी रै ।।

जूं गोरों की पूजा होंदी छ, ऊँकु आज बरकटाळ ह्वे ।
बॉडी मा फूल डाळीक, 101 गोरों तै ख़िलान्द छ ।।
आज अपणु रीति-रिवाज, बार त्यौहार सभियों तै हम भुली गे ।
अब पहली जन बग्वाळीयों की वा बात नी रै ।।

एक महीना पहली बटिन हम, भैलु बणाण मिसि जांद छै ।
औराण-कौराण दुख-दलेदर, उक्कल जगै तै भगांद छः ।।
स्वाळ पकौड़ी खुद भी खांद अर अबाजो तै भी देन्द छः ।
अब पहली जन बग्वाळीयों की वा बात नी रै ।।

बनी बनी की बग्वाळ हम मनांद छ पहाड़ मा ।
ईगास-बग्वाळ, भीम-बग्वाळ, रिख बग्वाळ भी तुम जाणदा ? 
दुनियां मा तुम जख भी राँ पर, अपणी संस्कृति सी भूल्यां न ।
बोली भाषा रीति रिवाज अपणु तुम छोड़ियाँ न ।।

© विनोद जेठुडी 30 अक्टुबर 2022, दुबई, यु.ए.ई

Friday, 16 September 2022

भ्रष्टाचार

जूँ पैँसा वाळोन, पैँसोँ कु थैला भोरि-भोरिक दिनिन 

ऊँ परिक्षा पास करिक आज अधिकारी बणी गेन 

अर जूँ विचार पढै क खातिर राती-राती जगदी रैन 

ऊँक अधिकारी बणण कु सपना, सपना ही रैगेन 


विनोद जेठुडी 16/09/2022, सुबह 8:20 A.M.


Tuesday, 22 December 2020

येसु की नौ-नवाण हमन करियाली

 


माँ जी गौँ बटी "समूण" भिजी छ अर दगड मा रैबार दियुँ छ कि ... 

येसु कु साग-भुजी भिजणु त्वेकु, तू भी चखियाली 
ककडी अर मुंगरी कु बेटा, नौ-नवाण करियाली ।
मेरी भिजी या “समूण” त्वैकु, गौँव की याद दिलाली 
खुदेणी न रैयी बेटा, मन ना उडैयी ॥ 

छाछँ मिलली त्यख अगर ता छाँछ तू लेयी 
मुगँराडी अर चुन भिजणु “पळ्यो” बणैयी 
खट्टु जादा होलु अगर ता थुडसी पाणी मिलैयी 
सिलोटु मा कु पिस्यु लुण भी थुडिसी मिलैयी

पिण्डालु कु पत्ता भिजणु,  पत्युड बणैयी 
सौती सौती मुंगरी भिजणु, लग़डी बणैयी
द्वीसेरी मेरी घी बणायीँ त्वेतै भिजायीँ
कोदु की रोटी बणैली ता, वीँ प लगैयी

कखडी खाण मा क्या बुन तब कन रस्याण ये ग्यायी 
किलै कि माँजी कु सिलोटु मा कु पिस्यु लुण भी बिज्युँ छायी
हरि मिर्च मजाणी कुछ ज्यादा ही धोळी द्यायी 
किलै कि चरचरु बरबरु कुछ ज्यादा ही ह्वे ग्यायी   

येसु क साग भुज्जी हमन भी चखियाली 
ककडी अर मुंगरी की, नौ-नवाण करियाली ।
गौँ बटी अयीँ "समूण" की इन मिठास मयाळी 
कि जिकुडी मा छाळी पोडी, रस्याण ये ग्यायी ॥

© विनोद जेठुडी 26 अगस्त 2019 

अणसाळ

कुटळी, दथडी अर थमाळु सभी खुंडु ह्वेगेन

किलै कि अणसाळ कर्याँ, सालोँ ह्वेगेन 

औजार जु खुँडॅ छन, खुँडु क खुँडु रै गेन

उंकु जगा नै नै अर पैनु पैनु औजार ये गेन

पळ्यांदार अब गौँव मा क्वी नी रै गेन

घौण्या बिचारु भी बडु मुस्किल सी मिलदन

अब तुंग कु जलडोँ कु कोयला नी बणादन

पाणी कु छपाँक मारी माटु निस नी दबाँदन

अब गौँव मा क्वी अणसाळ नी करदन

पळ-पळ्याँ औजार, बाग़डियोँ मु ल्यान्दन 

© विनोद जेठुडी 22/12/2020 at 15:00 

Wednesday, 31 July 2019

धर्मु तै स्कुल मा ठंड नी लगदी

पुष कु महीना, अर धार मा कु स्कुल
बथौँ कु स्वीस्याट मा ठँड न कुहाल 
सभी स्कुल्या बंडी अर जूत्त पैरी क स्कूल आंदन 
पर धर्मु एक बुरर्सैट अर चप्पल पैरी क स्कूल आंदु 
गुरुजी न पुछी, कि किलै रे धर्मु ?
त्वै सन ठंड नी लगदी ? 
जू तू कभी भी बंडी नी परदी ?  

धर्मु बुलदु कि ना गुरुजी, मैँ सन ठंड नी लगदी 
गुरुजी न फिर पुछी कि चल त्वै सन ठंड नी लगदी
पर फिर तू जुत्त किलै नी परदी ? 
धर्मु बुलदु कि गुरुजी
जुत्त न म्यारु टँगडु बिन्यांदु 
याकुँ मी चप्पल पैरी क ही स्कूल आंदु 

अरे माणी कि जूत्त त्वै पर बिन्यांदन छन
अर ठँड भी त्वै नी लगदी .... 
पर तीँ पैन्ट क क्या हाल बणया छन ? 
१० जगहोँ मु थिगळा धोळी धोळी तै 
टँकळ्ये – टँकळ्ये क काम चलाणी छयी 
तू अफु खुनी नयी ड्रेस किलै नी लिल्यानी ? 

दणमण दणमण आंशु धुळदु धर्मु 
मोणी उंद करिक रोणु मिसी जांदु 
अर बुलदु कि गुरुजी....... 
होंदी अगर बन्डी मीमु ता, ता इन नी ठिठकुरांदु 
होंद अगर जुत्त मीमु ता पैरी जरुर आंदु 
कनकै बतौँ गुरुजी तुमतै कि गरिबी क्या होंदु ? 
याकुँ तै मै गुरुजी योँ थिग़ळा झुलोँ मा ही आंदु - २


© विनोद जेठुड़ी 
दिनाँक 30/07/2019 at 5:50 a.m

Monday, 31 December 2018

नै साल की सुभकामनाएँ

राजी रैया, खुशी रैयाँ, सर्व सम्मपन्न हुयाँ 
घौर परिवार मा, सदा सुख - शांति बण्यु रैयाँ 
मिलु ऊ हर खुशी जैसी मुखुडी सदा हैसँदी रैया 
औण वाळु साल तुमतै, हर वा खुशी दियाँ 

नै साल २०१९ की हार्दिक सुभकामनाएँ 

विनोद जेठुडी 

Monday, 4 June 2018

फौजी कु फर्ज अर परिवार

एक माँ कु फर्ज कु खातिर
हैकी माँ तै छोडीक चली ग्योँ मी
भारत माँ की रक्षा खातिर
आज शहिद हुवेग्योँ मी

माँ मै माफ करी
मै तेरु बुढेंदु कु सहारु नी बणी पायी
अपणु ख्याल रखी अर
औरोँ तै भी समझैयी

बाबा मेरु दुधी नौनियाल कु
खुब देखभाळ करी
अर वेतै भी बडु हुवेक
फौजी ही बणौयी

बीना... तू हिम्मत रखी अर
माँ बाबा की सेवा करी
मेरी खुद मा तू बीना
अकेला मा रोणी ना रैयी

हम फौजी छाँ 
देश क खातिर मरी मिटी जौला
पर भारत माँ पर कभी भी
आँच नी औणी द्योला
पर भारत माँ पर कभी भी
आँच नी औणी द्योला 

© Vinod Jethuri on 04/05/2018 @ Sharjah

पलायन

जख पढणु तै स्कूल न हो
गाँव जाणु तै सडक ना हो
विजळी की सुविधा ना हो
प्याणु तै पाणी न हो 
इलाज करणु तै अस्पताळ न हो
अर जू अस्पताळ हो भी
ऊ मा डाक्टरोँ कु नामो निशान न हो
तूम ही बुला वख रा त कन कैक रा
फिर पलायन नी करा ता क्या करा
© Vinod Jethuri on 06/05/2018 @ Sharjah