Tuesday 22 December 2020

येसु की नौ-नवाण हमन करियाली

 


माँ जी गौँ बटी "समूण" भिजी छ अर दगड मा रैबार दियुँ छ कि ... 

येसु कु साग-भुजी भिजणु त्वेकु, तू भी चखियाली 
ककडी अर मुंगरी कु बेटा, नौ-नवाण करियाली ।
मेरी भिजी या “समूण” त्वैकु, गौँव की याद दिलाली 
खुदेणी न रैयी बेटा, मन ना उडैयी ॥ 

छाछँ मिलली त्यख अगर ता छाँछ तू लेयी 
मुगँराडी अर चुन भिजणु “पळ्यो” बणैयी 
खट्टु जादा होलु अगर ता थुडसी पाणी मिलैयी 
सिलोटु मा कु पिस्यु लुण भी थुडिसी मिलैयी

पिण्डालु कु पत्ता भिजणु,  पत्युड बणैयी 
सौती सौती मुंगरी भिजणु, लग़डी बणैयी
द्वीसेरी मेरी घी बणायीँ त्वेतै भिजायीँ
कोदु की रोटी बणैली ता, वीँ प लगैयी

कखडी खाण मा क्या बुन तब कन रस्याण ये ग्यायी 
किलै कि माँजी कु सिलोटु मा कु पिस्यु लुण भी बिज्युँ छायी
हरि मिर्च मजाणी कुछ ज्यादा ही धोळी द्यायी 
किलै कि चरचरु बरबरु कुछ ज्यादा ही ह्वे ग्यायी   

येसु क साग भुज्जी हमन भी चखियाली 
ककडी अर मुंगरी की, नौ-नवाण करियाली ।
गौँ बटी अयीँ "समूण" की इन मिठास मयाळी 
कि जिकुडी मा छाळी पोडी, रस्याण ये ग्यायी ॥

© विनोद जेठुडी 26 अगस्त 2019 

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