Friday, 25 June 2010

खडडू दीदा कु ब्यो


खडडू दीदा कु ब्यो छ रे, जै छ मी बरती मा
जन बरात जै छ गौं मा, छोरो  कु फ़फ़ताट हां - २
चाय पाणी भी हवेगे भैयों, सिगरेट फुकी छोरोन
जन खाणु की बारी आयी, बराती लुन्गतयार मा..........
खडडू दीदा कु ब्यो छ रेरे रे रे रे रे रे होय होय..

खडडू दीदा कु ब्यो छ रे जै छ हम बराती मा
जन बरात जै छ गांव मा, छोरो कु फ़फ़ताट हां
                    छोरो कु फ़फ़ताट हां (कोरस)

सूजी भूजी भी खायी छोरो न, लगायी दवी घुट हां
रन्गमत हवेगेन छोरा, घमाचुर मन्डाण मां....- २
रंगीली-पिन्गली देखी जब, शान करी आन्खियों न
गांव वालो न जाणी दीदो, पिटी दिनी थान्तुन......
खडडू दीदा कु ब्यो छ रेरे रे रे रे रे रे होय होय..

खडडू दीदा कु ब्यो छ रे जै छ हम बराती मा
जन बरात जै छ गांव मा, छोरो कु फ़फ़ताट हां
                        छोरो कु फ़फ़ताट हां (कोरस)

सुबेर जब हवायी भैयो, चली गेन ऊ बेदी मा..
ब्योली बिचारी बांद बणी छ, भैजी दबान्दू कांधी हां -२
रमच्याट मची गे बौ पर, भैजी कू हे हाथन.....
गाली भी दिनी छोरियोन, खडडू दीदा की मां सन
खडडू दीदा कु ब्यो छ रेरे रे रे रे रे रे.........

खडडू दीदा कु ब्यो छ रे जै छ हम बराती मा
जन बरात जै छ गांव मा, छोरो कु फ़फ़ताट  हां
                       छोरो कु फ़फ़ताट हां (कोरस)

मांगल जब छोरी देन्दन, दिल होन्दू झकझोर हां
जैकी मुखडी उन्द दिखा, आंशू औदन आखियों मा - २
दान दहेज खत्म हवेगे, लगदी पिठै-पाणी हां.......
कन रन्गत औयी छ आज, खडडू दीदा कु ब्यो मा
खडडू दीदा कु ब्यो छ रेरे रे रे रे रे रे ..............

खडडू दीदा कु ब्यो छ रे जै छ हम बराती मा
जन बरात जै छ गांव मा, छोरो कु फ़फ़ताट हां
                      छोरो कु फ़फ़ताट हां (कोरस)

बरात जब पैटी गे भैयो, डवाला भी बणी गे
ब्योली तै बिठायी दीदो, रुवापिट मची गे.... - २
बरात जब घौर पंहुची गे, दरुल्या बाठु छुटी गे
धुम-धाम सी आज मेरू, खडडू दीदा कू ब्यो हवेगे..
खडडू दीदा कु ब्यो छ रेरे रे रे रे रे रे..............

खडडू दीदा कु ब्यो छ रे जै छ हम बराती मा
जन बरात जै छ गांव मा, छोरो कु फ़फ़ताट हां
                       छोरो कु फ़फ़ताट हां (कोरस)

खडडू दीदा कु ब्यो छ रेरे रे रे रे रे रे रेरे रे रे रे रे ............

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Monday, 31 May 2010

यु छ मेरु, ऊ छ तेरू


यु छ मेरु, ऊ छ तेरू
द्वीयोंमा पुडयु झमेलु..!
बिच बचाण गै छ मीता
बणिग्यो ईन जन पिचक्यु गन्देलू

क्या मिललू और क्या ह्वे जालु ?
द्वेष छोडीक प्रेम अपनालू !
भोल कु क्वी पता नी छ लाटू..
पल भर मा पतानी क्या ह्वे जालू !!

ईक बुनू छौ मी छौ बडू..
हैकु बुनू छौ मी नीछ छुटटू !
सभी मनखी एक समान ..
पैसो पर छ क्या भरोशू ? !!

बीच बचोव मा अब नी जौलु !
युं झगडो सी दुर ही रौलु..
अहकार मा स्यो-बाघ बन्या छन
यों बाघो सी मै खये जौलु

"कत्का सुन्दर होली दुनिया
जु मिली जुली क राय
छोडी ईर्श्या, लालस, मनसा
प्रेम कु बाठु अपनाय"...

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Friday, 28 May 2010

डामोन डमियाली


उत्तराखन्ड तै यून, डामो न डमीयाली..

छोट छोट गदनॊ पर भी, डाम बणैयाली..!

गगां जी कि दगडी, अत्याचार करियाली

लेली रुप विकराल, जब नी सहयाली ...!!

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भली मयाली मुखुडी (गढवाली शायरी)

दिखणु छौ ता दिखदु रैगे.
 सुचणु छौ ता सुचदु रैगे..!
भली मयाली मुखुडी देखी..
दगडियो मी ता बौल्या बणी गे..!!

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Tuesday, 11 May 2010

औरो तै देखा देखी मी भी, पुडीग्यो ये जंजाल मा

औरो तै देखा देखी मी भी, पुडीग्यो ये जंजाल मा
रुप्या पाणि खत्म हवेगेन, बणि ग्यो मी कन्गाल हां - २
डयुटि बटि जब औन्दु घौर, ब्वारि पुडि छ खाट मा
कभी कपाल, कभी टन्गडु, कभी दर्द पेट मा
                                         कभी दर्द पेट मा (कोरस) - २

ब्यो सि पहली स्वर्ग समान, लगदु ये संसार मा
छ्त्यानाश हवेगे अब ता, कजांण क औण मा - २
ब्यो करि तै सोची मीन रौलू, सुख चैन मा
और जादा मुन्डारु हवेगे, यी सरु का औण मा
                                        यी सरु का औण मा (कोरस) - २

डयुटी बटि जब औन्दु देर सी, खाणु बणाणु रात मा
ब्वारी बिचारि ताणिक सियी, वीतै किलाणु हाथ मा - २
सासू ब्वारी कि हवायी लडायी, तब ल्यो मी साथ मा
जू भी सपना देखी छ मीन, सब मिली गे राख मा
                                             सब मिली गे राख मा (कोरस) - २

ब्यो करि तै पछ्तै ग्यो मी, हवेगेन यु हाल हां
डाक्टरो कु चक्कर काटी, मुरिग्यो मी ये साल मा - २
भाड मजान्दू कपडा धोन्दू, कै मा ना तुम बुल्यान
जन मेरा हाल हुया छ्न, तन कैक ना हुयान
                                        तन कैक ना हुयान (कोरस) - २

नयी सुट साडी-बिलोज, लेन्दु हर तन्खवा मा
अपण ईन हाल हुया कि, दिन कटणु छ थिगलो मा - २
औरो तै देखा देखी मी भी, पुडी ग्यो ये जंजाल मा
रुप्या पाणि खत्म हवेगेन, बणि ग्यो मी कन्गाल हां
                                          बणि ग्यो मी कन्गाल हां (कोरस) - २

बणि ग्यो मी कन्गाल हां, बणि ग्यो मी कन्गाल हां
बणि ग्यो मी कन्गाल हां,बणि ग्यो मी कन्गाल हां...................

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Sunday, 2 May 2010

त्यों डालियों ना काट बोडा हे

हे बोडा सुणी ले बोडा हे
त्यों डालियों ना काट बोडा हे - 2
ब्वाडी भी बतौव बोडा हे
डाली कभी नी काटी बोडी हे
हे बोडा सुणी ले बोडा हे
त्यों डालियों ना काट बोडा हे - (कोरस)

बसकाल जब औनदु बोडा हे
दवी डाली लगावा बोडा हे - 2
तुम ता चली जैल्या बोडा जी
डाली बची राली बोडा जी
हे बोडा सुणी ले बोडा हे
त्यों डालियों ना काट बोडा हे - (कोरस)

लखडो कु बान बोडा हे
जगलं कु नास बोडा हे - 2
सुख्या लखड काटा बोडा जी
घास- घास काटा डालियो कि
हे बोडा सुणी ले बोडा हे
त्यों डालियों ना काट बोडा हे - (कोरस)

त्यों सुख्या डाडं बोडा हे
हरी भरी बणावा बोडा हे -2
जीवन ही डाली बोडा हे
बरखा पाणि भी देन्दा बोडा हे
हे बोडा सुणी ले बोडा हे
त्यों डालियों ना काट बोडा हे - (कोरस)

हे बोडा सुणी ले बोडा हे
त्यों डाल ना काट बोडा हे
हे बोडा सुणी ले बोडा हे
त्यों डालियों ना काट बोडा हे हे हे................

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Saturday, 1 May 2010

ग्वेर छोरो क दगडी मा

गोर चराण जै छ भै मै, ग्वेर छोरो क दगडी मा
बल्द कि जोडी उ लडादिन, बुलदीन हुरर- हुरर हां
सडकी कि बाठी गोर लिजादिन, रोड करदिन बन्द हां
जन गाडी रुकदी भयो, ढुगं फ़िकदन टोल मां
ग्वेरू छोरा..................
गोर चराण जै छ भै मै, ग्वेर छोरो क दगडी मा
बल्द कि जोडी उ लडादिन, बुलदीन हुरर- हुरर हां
बुलदीन हुरर- हुरर हां बुलदीन हुरर- हुरर हां - (कोरस)

गोर-बखर छोडी जगंल, ये जान्दीन उ सडकी मा
पिल्ला बणै तै गोली खिना छन, मस्त हुया छन खेलो मा
घर जाण कि येयी बारी, गोर पहुच्या छ्न धारी मा
गोर चराण जै छ भै मै ग्वेर छोरो क दगड मा
ग्वेरू छोरा..................
गोर चराण जै छ भै मै, ग्वेर छोरो क दगडी मा
बल्द कि जोडी उ लडादिन, बुलदीन हुरर- हुरर हां
बुलदीन हुरर- हुरर हां, बुलदीन हुरर- हुरर हां - (कोरस)

क्वी-क्वी छोरा ईन भी होदन, छुट छोरो मा लडै करादिन
छुट छोरो तै पिटी-पिटी खन, गोरो तै भी उ डिकादिन
बड-बड ग्वेरू येस कना छ्न, छुट्टो क बुरा हाल हां
गोर चराण जै छ भै मै ग्वेर छोरो क दगड मा
ग्वेरू छोरा..................
गोर चराण जै छ भै मै, ग्वेर छोरो क दगडी मा
बल्द कि जोडी उ लडादिन, बुलदीन हुरर- हुरर हां
बुलदीन हुरर- हुरर हां बुलदीन हुरर- हुरर हां - (कोरस)

क्वी चौलं क्वी तेल ल्यादू, क्वी लेन्दू आलु प्याज हां
ग्वेरू खिचडी बण छ तख, घनघोर जगलों बीच मा
कन बडी मौज औन्दी भयो, खैक ग्वेरु खिचडी हां
गोर चराण जै छ भै मै ग्वेर छोरो क दगड मा
ग्वेरू छोरा..................
गोर चराण जै छ भै मै, ग्वेर छोरो क दगडी मा
बल्द कि जोडी उ लडादिन, बुलदीन हुरर- हुरर हां
बुलदीन हुरर- हुरर हां बुलदीन हुरर- हुरर हां - (कोरस)

आम फ़लेन्डू कि डाली मा जादन, दगडियों तै भी खुब खिलादिन
थैला भोरी तै कान्दी टन्कियू छ, बाठ-बटुयों तै भी देंदन
आम फ़लेन्डू खैक भयो, मन होन्दू तरोट हां
गोर चराण जै छ भै मै ग्वेर छोरो क दगड मा
ग्वेरू छोरा..................
गोर चराण जै छ भै मै, ग्वेरू छोरो क दगडी मा
बल्द कि जोडी उ लडादिन, बुलदीन हुरर- हुरर हां
बुलदीन हुरर- हुरर हां बुलदीन हुरर- हुरर हां - (कोरस)

गोर चराण जै छ भै मै, ग्वेरू छोरो क दगडी मा
बल्द कि जोडी उ लडादिन, बुलदीन हुरर- हुरर हां
बुलदीन हुरर- हुरर हां, बुलदीन हुरर- हुरर हां
बुलदीन हुरर- हुरर हां, बुलदीन हुरर- हुरर हां.......

Copyright © 2010 Vinod Jethuri

Friday, 23 April 2010

आवा बौडी अपणो तै ना जावा छोडी



आवा बौडी अपणो तै ना जावा छोडी

आवा बौडी आवा बौडी
अपणो तै ना जावा छोडी
यखुली छाजा मा बैठी छ बोडी
बोडा लेणु छ लखडा तोडी
धै लगाणा छ्न बांज कुडी
मेरा अपणो आवा बौडी

मै अभागी ईन भी रायी
ब्यो करि तै ल्यायी ब्वारी
पहली हि महिना चली गेय दिल्ली
बुढि-बुढिया हम रै गें यखुली
बुढि-बुढियों तै जावा ना छोडी
मेरा अपणो आवा बौडी

दादा मनु छ हुक्का कि सोडी
पर आन्खियों मा नाति कि मुखडी
सालो ह्वेगेन नाती नी बौडी
सभी चली गेन हम तै छोडी
मेरा अपणो आवा बौडी
हमतै ना जावा छोडी

दादी की ता झुरी गे जिकुडी
लडिक ब्वारियों का बाठा देखी
गोर गुठ्यार भैसियों कि तान्दी
आज देखा सब पुडियां छ्न बाझी
आवा बौडी आवा बौडी
अपणो तै ना जावा छोडी

Copyright © 2010 Vinod Jethuri

Thursday, 15 April 2010

गढवाली गीत येजा येजा रे दगडीयों

येजा येजा रे दगडियो, येजा येजा धी - २
खट्टू पाणी छाछी कु जरा, थुडी सी पेजा धी !!
येजा येजा रे दगडियो येजा येजा धी !

येजा येजा रे दगडियो येजा येजा धी (कोरस)

झन्गोरु खैजा, बाडी खैजा, कोदु कि रोटी.....
दाल फ़्राई छोडी कि खा, घयू खिचडी - २
येजा येजा कुछ ता खैजा, मुक ना मोडा
गेहू चौल क पैथर तुम, यूं तै ना छोडा......
येजा येजा रे दगडियो, येजा येजा धी
बसकाल मा साग भुजेलु कु सुकसा बणा धी....
येजा येजा रे दगडियो येजा येजा धी...

येजा येजा रे दगडियो येजा येजा धी (कोरस)

गेठी खैजा.. तैड खैजा, बसिगु सुजा धी
सभी रोगो कि छ्न यु, पक्की दवायी - २
येजा-येजा कुछ ता चखा, जलडा बुट्ला !
पहली जमानु क लोगोक, यु छ्न अहार !!
येजा येजा रे दगडियो येजा येजा धी......
भट्ट.. मरसु.. मुन्गरि भुजी, किसा भुरा धी..
येजा येजा रे दगडियो येजा येजा धी,
ईक घुटाग पल्यो कु जरा थुड्सी पेजा धी

येजा येजा रे दगडियो येजा येजा धी (कोरस)

ईश्वर खैजा, किनगोडू बेडु तिमलु खवा धी
आम फ़लेन्डु ढऔ, दगडी केमु लिवा धी - २
येजा येजा लगडि खैजा, गथडू पट्डू....
कन्डाली क साग दगडी बणा छ्छेन्डू.......
येजा येजा रे दगडियो येजा येजा धी,
खट्टू पाणी छाछी कु जरा थुडी सी पेजा धी

आज कि युवा पिढि को अपने उत्तरान्चली भोजन, पकवान, फ़ल-फ़ुल, सब्जी, रोटी-दाल आदि को खाने के लिये उस माटी का न्योता जिसमे हमारे पुर्वजो ने कठिन मेहनत कर हमे ईस योग्य बनाया लेकिन---------->,,,,,,


Copyright © 2010 Vinod Jethuri

उत्तरान्चली एशोसियेसन आफ़ ईमिरात परिवार


उत्तरान्चली एशोसियेसन आफ़ ईमिरात परिवार क सभी सदस्यो कु अपणि संस्क्रति कु प्रति प्रेम/अपणि बोली-भाषा सी लबाव/अपणा उत्तरान्चली भै बन्दो दगडी अपणुपन कु अह्सास:-

                ये परिवार कु सदा प्रयास रायी कि कै प्रकार सि हम अपणु संस्क्रति तै रास्ट्रिय और अन्तरास्ट्रिय स्तर पर विकसित करा...हमारु खाणू (पकवानॊ) कि, हमारु पहनाओ कि, हमारु स्वर्ग समान उत्तरान्चल मा प्रयटन कु, हमारि बोली भाषा कि रास्ट्रिय और अन्तरास्ट्रिय स्तर पर पहचान होऊ....पर सबसी पहली अपणो बटी शुरुवात करण होलि...येही प्रयास क दगडी अपण तौहारों तै अपणु तरिका सि मानाण कि पुरी कोशिस रैन्दी....दिपावली तै "बग्वाल" क रुप मा, नयु ईयर तै "कौथिक" जै मा कि प्रितम भरतवाण जी, मीना राणा जी, सन्गीता ढौन्डीयाल जी व शिव दत्त पन्त जी न अपणि मधुर स्वरो सि दुबई मा रौनक बिखेरि दे छ फिर होली तै "छरोली" और फिर होलि मिलन "छरोली टोली" दुबई बटी अबु धाबी.....छरोली टोली कि बिशेष मकसद व आक्रषण छ उत्तरान्चली पहनाव.......!
                     १९ मार्च २०१० होली/सांस्क्रतिक मिलन (छरोली टोली) कु प्रोग्राम बहुत हि सुन्दर सफ़ल व सुखद रायी... सुबेर बस अजमान बटी निकली और शारजहां, दुबई होईखन अबु धाबी कि तरफ़ चली.. बस मा ढोल-दमो कि दगडी गढवाली/कुमावनी गानो कि धुन पर ज्वान-जमान, दाना-सयाण सभी लोगो न खुब आन्नद लिनी...अबु धाबी पहुंची खन बडु हि सुन्दर प्यारु तरिका सि पठाई जुन्दाल लगै कि अबू धाबी मा बस्या उत्तरान्चली भै-बन्दॊ/दिदी-भुलीयो न मिलीखन स्वागत सतकार करि..वाकु बाद उडद कि दाल कि बलुणि वाह क्या बुन तब और दिन कु खाणू आलु गोभी कि भुजी राजमा कि दाल सभी लोग अन्गुली चटदी रै गेन.. बहुत बहुत धन्यबाद अबु धाबी परिवार कु जुन ईतका सुन्दर तरिका सि स्वागत सतकार क दगडी स्वादिस्ट खाणु और अच्छी ब्यवस्था करि.....!
                               ग्रुप कु मकसद उत्तरान्चली सन्सक्रति कु विकास क साथ-साथ अपणी उत्तराखन्डी भै-बन्दॊ कि कै भि प्रकार सि सहायता करण - मदद बहुत सि प्रकार सि हवे सकदिन जन कि कैतै नौकरी लगाण मा, कैतै बिजनीस बढाण मा, कैतै शादी तै लडका- लडकी ढुन्डण मा ता कैतै कै प्रकार सी अभी कुछ महिना पहली श्री जसपाल राणा कि आकसमिक मिर्त्यू हवे गे छ ता ग्रुप क सभी सदस्यो न थोडा थोडा पैसा जमा करि तै उन्कु परिवार तै सहायता क रुप मा देढ लाख (१५००००/-) रुपये भेजी छ.. "एकता मा बहुत बडी ताकत होन्दी यदी यी ताकत कु प्रयोग हम अच्छा कामॊ मा करा ता हमारी कामयाबी आसमान कि बुलन्दिया छ्वी सकदी"....हमार दगड मा बहुत सि उत्तराखन्डी बिजनिसमैन भी छन जुकी उपकरण व सेवा तै हम प्रयोग करि सकदिन और वाकु बदलू हम तै छुट मिललू ये मा दवीयो तै लाभ होलू उ तै उन्कु बिजने़स बढाण मा और हम तै सस्ती किमतो पर सामान लेण मा....!
                     हम सभी लोग यख बिदेश अया छन ता अपणु परिवार कु भरण पोषण ठिक प्रकार सि करि ही सकदिन....हमारु उत्तराखन्ड मा बहुत सि परिवार ईन छ्न जुन्कू चुल पर ब्याखुन्दी दां आग नी जगदी किलै कि उन्कु घर मा कुछ नी छ पकाणु तै... बहुत सि बच्चा (नौन बाल) ईन छ्न कि जुन स्कुल कु मुक नी देखि किलै कि स्कुल मा फिस देण कु पैसा नी छ और कै भी प्रकार सि अगर ८-१० पास हवे गेन ता वासी अगने पढी नी सकदन किलै कि परिवार कि जिमेदारि ये जान्दी...बुढी-बुढ्या (बोडा-बोडी/दादा-दादी) तै बाझा कुडा जेल लगणू छ किलै कि कैक दगडी बचेण...लडीक ब्वारियों कि आण कि आ़स मा आंखो कु पाणि सुखी गे...यु.ए.ई ग्रुप फ़ाउन्डेसन शुरुवात ग्रुप क दगडि मिलि तै काम करलु और एक छोटू सि कोसिस व शुरुवात का रुप मा हमन फ़ाउन्डॆशन शुरुवात कु माध्यम सि उ बच्चो तै १ लाख रुपये (१०००००/-) भेजी.....और अगने भि कोशिश राली उ रैबासियों खातिर कुछ करण कि जुन अपणि सन्स्क्रति कि बुझदी दयो (दिया) तै हाथो न ढकी कि जगै कि रखियु छ......!

"जै कुल देवता नागरजा-जय देवभुमी उत्तराखन्ड"

धन्यबाद व सुभकामनायें...!

विनोद सिंह जेठुडी

टीम यु.ए.ई ग्रुप