चखुलियों कु चैंच्याट मची गे, धार मा त्यू घाम येगे
खडु उठ हे मंगथु बेटा, मुक धो अर आग जगै
दे |
मीन ............
मोळु गाडे दे, भैंसू पिजै दे, भैर कु काम सब निपटै दे
रतब्याणी बटी रबडा-रबडी, खडु उठ अब एक घुट चाय पिलै दे ||
एक घत्ती पाणी ले दे धी अर, नये धुये क भी तू
येजै
कल्यो पकैक धर्युं छ मेरु, खैक तू स्कुल चली
जै |
सुण ..............
गोर लिगी जै, डांडा बटे दे, हाफ़ टैम मा दिखदी भी रै
ब्याखुनी दां जब छुट्टी होली, गोरो तै भी घर लेक औयी ||
तेरु भी बाबा बुरु हाल ह्वेगे, काम कु बोझ सरा त्वे पर येगे
भोल तीन लखडों कु जाण, आज छुट्टी की
अर्जी दे दे |
अर हां स्कुल जाण सी पहली ..........................
भूल्ली तै दुध पिलै दे, भितर ग्वाडी दे, भैर बटी ताळु मारी दे
दिन मा औलु मी एक घडी कु, चाभी भैर ब्यांर
धारी दे ||
घास कु आज मै गदन ही जौलु, रोपणी मा भी पाणी
ळगौलु
बडी मुस्किल सी आयी बारी, सरै पुंगडियो तै
सौकी औलु |
हे जी हमार भी बखर खुलयान, भोळ मै तुमार बखर
लिजौलु
तूम भग्यानोन ही साथ दे मेरु, तुमारु अहसान मै कन कै द्योलु ||
कचापिच ये बस्गाळ मा ह्वेगे, खुट्टियों पर मेरु कादौं लगिगे
यीं द्योरी पर भी कांड लग्यां छ्न, भितर च्वींक त्यू छ्लपंदु ह्वेगे |
येंसु रुडियो मा ये कुड तै छौळु, मोरी-संगाडो तै भी ऊच्योळु
कुछ पैसा मंगथु कु बाबा अर, कुछ पैसा मै भी
कमौलु ||
मुंडै बाण की चकडात पुडीं छ, कैमु झी मै हौळ लगौलु
जेठा जी होर तुम ही लगै द्या, तुमारु सिवा अब कैमु जौलु |
धनकुर बुळ्या धनकुर द्योळु, ध्याडी बुळ्या
ध्याडी दिलौलु
बळ्दो तै घास पाणी, घर मु ही पहुँचै
द्योलु ||
"ईखुली ईखुली मा चखुली की आस, ईखुली
रैण कु ऊ अहसास
अपणु ही घर होंदु वनवास, कभी ना
कै पर लगु ईकुल्वास" -३
© विनोद जेठुडी
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