Wednesday, 8 October 2014

दगड मा क्या लिजायी ?


सरा जिन्दगी नौकरी कायी
खुब कमाई ....  
बच्चोँ तै पढैयी लिखयी क
पहुँच पर पहुँचायी ...
एक एक पैसा जोडी क
घर कुडी बणायी
बच्चोँ क सुख क खातिर
अपणु सुख बिसरायी
पर बुढेदुँ दौँ
अब पछतायी....  !!!!!!
जुँक बान खैरी खायी
उन ही बैरी बणायी .....
कमायीँ – धमायीँ
सभी यखी रै ग्यायी ...
जाँदी दौँ पैसा ना पायी
जुँ बिचारो न पुन्य कमायी
दगड मा वी लिजायी
जिन्दगी भर लोभी बण्यु रैय
मुरदी दौ अब पछतायी ..!!!  

“मेरा अपणो सुणा तै सैयी
कुछ ईन भी करँया कमैयी
जाँदी दौँ सौतीँ - समाळी
दगड  मा वीँय  लिजैयी”

Copyright @ Vinod Jethuri on 08/10/2014 @ 6:50 AM




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