सरा
जिन्दगी नौकरी कायी
खुब
कमाई ....
बच्चोँ
तै पढैयी लिखयी क
पहुँच
पर पहुँचायी ...
एक एक
पैसा जोडी क
घर कुडी
बणायी
बच्चोँ
क सुख क खातिर
अपणु सुख
बिसरायी
पर
बुढेदुँ दौँ
अब पछतायी.... !!!!!!
जुँक
बान खैरी खायी
उन ही बैरी
बणायी .....
कमायीँ –
धमायीँ
सभी यखी
रै ग्यायी ...
जाँदी
दौँ पैसा ना पायी
जुँ
बिचारो न पुन्य कमायी
दगड मा
वी लिजायी
जिन्दगी
भर लोभी बण्यु रैय
मुरदी
दौ अब पछतायी ..!!!
“मेरा
अपणो सुणा तै सैयी
कुछ ईन
भी करँया कमैयी
जाँदी
दौँ सौतीँ - समाळी
दगड मा वीँय लिजैयी”
Copyright @ Vinod Jethuri on 08/10/2014 @ 6:50 AM
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