यूं तिबारी - डिंडालियों मा
अब क़िबलाट नी सुणेन्दु
यूं चौक डिंडालियों मा
भी क़्वी बैठण कु नी औन्दु
छाजा - गुठ्यार मा
क़्वी भैंसु नी रमंदु
अर सरै गौंव खोळा मा
क़्वी मनिख नी दिखेंदु
कखी मेरी आँखि अर कन्दोड़ी
फूटी ता नी गे होला
किलै कि न कुछ दिखेंदु
अर न कुछ सुणेन्दु
सरै गौंव सुनसान नजर औन्दु
सरै गौंव सुनसान नजर औन्दु
© विनोद जेठुड़ी ११/०७/२०१७
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