Tuesday, 31 August 2010

धार सुखी गेन, गाड घटी गेन


धार सुखी गेन, गाड घटी गेन
हुया पहाड क हाल ईन.......
पाणी बगैर तडपणा छन..
बिन माछ सी पाणी जन

डाली कटियाली, बांज नी रायी
डांडी बण्या छन खरडपट........
का बटी आलू, पाणी बुला धौ ?
जगंल करियाली सपाचट....

जानवर जगंलो मा, तीसी मुना छन !
मनखी बिचारी, त्वे पर आस.......!!
पाणी बगैर मी पट मरी जौलू !!!
त्वे पर लगलु मेरू शराप !!!!

गाड गदनियों कु, पाणी भी सुखी
सेरा मा रोपणी, दिखण कखन...?
सुखी धरती बबलाणी छौ...
बरखा पाणि भी हवेगे बन्द...

"हे मेरा लठयालो ईन करा धौ
दवी चार डाली, तुम भी लगा धौ
लगावा डाली हर आदिम........
गाड नी घटलू, धार नी सुखुलू
पाणि ही पाणि हर मौसम.."


Copyright © 2010 Vinod Jethuri

2 comments:

  1. ek bahut acha prayas hai Vinodji, All the best and pray god for all your success.- Saroj Negi Kalsi

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