Tuesday 8 February 2011

रुम-झूम बरखा (गढवाली शायरी)

दिन दोपहरी मा छंवी बात लान्दी..
रात सुपनियों मा सुट ये जान्दी..!
तेरी माया मा तर बण्यू छौ..♥♥♥....
रुम-झूम बरखा मा छपा-छौली लौन्दी..!!

सर्वाधिकार सुरक्षित @ विनोद जेठुडी, 2010
8 फ़रवरी 2011 @ 19:06

4 comments:

  1. बहुत सुन्दर!
    बसन्तपञ्चमी की शुभकामनाएँ!

    ReplyDelete
  2. धन्यबाद मयंक जी
    बसन्त पंचमी की हार्दिक सुभकामनाये आपको भी..

    ReplyDelete
  3. कन छा वो बचपन का दिन जु हमेशा याद रखणा

    ReplyDelete
  4. बचपन क दिन भी ऊ बडा अजिब होन्द थौ
    धन्यवाद आपकु प्रतिक्रिया कु वस्त

    ReplyDelete